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मोहब्बत से नफरत,1 साल बाद

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दिल्ली,

RK का पेंटहाउस

शहर की चकाचौंध के बीच रिवांश कुंद्रा की आंखों में अंधेरा छाया हुआ था।उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया था।

सिगरेट की अनगिनत डब्बी खाली हो चुकी थी और टेबल पर पड़ी शराब की कई बोतले भी खाली हो चुकी थी।।

वो बालकनी पर खड़ा था, ठंडी हवा उसके गुस्से को भी ठंडा नहीं कर पा रही थी।

उसे अभी तक वो मंडप, वो घुंघट वाली लड़की, और वो गिरता हुआ बूढ़ा बाप याद आ रहा था...

लेकिन... उसे ये सब होने का कोई अफसोस नहीं था। बस गुस्सा था। खुद पर, हालात पर, और शायद उस वचन पर, जो उसके डैड ने उस आदमी को दिया था जिसकी वज़ह से उसे जबरदस्ती उससे शादी करनी पड़ी थी।।

तभी अचानक दरवाज़ा ज़ोर से खुलता है। और विक्रम कुंद्रा अंदर आते हैं। उनके चेहरे पर अनगिनत गुस्सा, आंखों में शर्म नजर आ रही थी।।

विक्रम गुस्से में रिवांश पर चिल्लाते हुए कहते हैं,"

“यही सिखाया था मैंने तुझे, रिवांश?

एक लड़की को पूरे गांव के सामने छोड़ आया तू!

तेरी वजह से एक आदमी मर गया, और तुझे फर्क तक नहीं पड़ा?”

ये सुनकर रिवांश कटाक्ष से भरे अंदाज में कहता है,"मेरी वज़ह से कुछ भी नहीं हुआ है डैड, ये सब आपकी वज़ह से हुआ है।।“आपने जो so called वचन दिया था न, उसकी वजह से उस लड़की के बाप की मौत हुई है। उस मौत के जिम्मेदार आप है, न कि मैं।

आपने अपने उस वचन को निभाने के लिए मेरी ज़िंदगी गिरवी रख दी?क्या मैं आपकी कोई प्रॉपर्टी हूं जिसे किसी से भी आप बांध देगे , सिर्फ एहसान चुकाने के लिए?”

रिवांश की कड़वी बातों को सुनकर विक्रम गुस्से भी से कहते हैं,"

“वो एहसान नहीं था, रिवांश… वो इंसानियत थी!

जिस लड़की से तू भागा है न, उसके पिता ने मेरी जान बचाई थी। और तेरे एक इंकार ने एक बेटी से उसका सब कुछ छीन लिया।”

इस पर रिवांश भी गुस्से से कहता है,"

“तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया पहले?

क्यों मेरी मर्ज़ी के बिना वो सात फेरे करवाए?

मैं प्यार में यकीन नहीं करता, और आपने मुझे जबरन शादी करने के लिए मजबूर कर दिया”

अपने बेटे की मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्रम कहते है,"

“तू खुद को क्या समझता है?

हर रिश्ते को ठुकराकर अकेला ही रहेगा?

थोड़ी देर के लिए ही सही उसकी आंखों में मोहब्बत से झांका है, जिसे तूने ठुकराया?”

अपने डैड के मुंह से इमोशनल बाते सुनकर रिवांश एक फीकी हंसी के साथ कहता है,"

“अब आप भावनाओं की बातें मत कीजिए डैड।

जिस दिन किसी की आंखों में मोहब्बत से झांकूंगा…

वो दिन शायद उसके लिए लिए सबसे ख़तरनाक होगा।”

इस पर विक्रम धीमे से, लगभग टूटे हुए लहजे में कहता है,"

“तू हार गया है, रिवांश… पर असली हार तुझे तब महसूस होगी,

जब वो लड़की तुझसे कहीं आगे निकल जाएगी… बिना तुझसे जुड़े हुए।”तब तुझे अहसास होगा कि तूने क्या खोया है।

ये कह कर विक्रम कुंद्रा दरवाज़ा बंद करके चले जाते हैं।

वहीं रिवांश, अकेला खड़ा, बालकनी की रेलिंग पर हाथ मारता है। और खुद से ही बुदबुदाते हुए कहता है,"

“वो गांव की लड़की मेरी बराबरी में आएगी?

नामुमकिन...”

लेकिन कहीं न कहीं, उसेअपने डैड के शब्दों में चुनौती की गूंज सुनाई देती है। वो ये सब सोच सोच कर परेशान हो रहा था।।

फिर रिवांश अचानक से ही आईने के सामने खड़ा होता है। फ़िर

अपनी ही आंखों में झांकता है और धीरे-धीरे खुद से कहता है—

"मोहब्बत?"

एक कड़वी हंसी के साथ

"मुझसे ये उम्मीद न ही करे कोई।

क्योंकि मैं मोहब्बत नहीं करता… और ना ही कभी करूंगा।"

फिर वो आईने में अपने चेहरे को देखता है और गुस्से से कहता है

"वो गांव की लड़की?… वो कभी मेरी बीवी नहीं बन सकती।

जो शादी मैंने ज़बरदस्ती की थी, उसे मैं ज़िंदगी भर का रिश्ता नहीं बना सकता।"

फिर वो पीछे हटता है, सिगरेट का आख़िरी कश लेता है और बालकनी की ओर जाता है।

"रिवांश कुंद्रा किसी के कहने पर जीता नहीं… और किसी से बंधता नहीं।

उसने तो मेरी ज़िंदगी में घुसने की गलती की थी…

अब उससे मैं हर कदम पर उसका वही फ़ैसला याद उसे याद आते रहेगा"

"उस गांव की लड़की को मैं अपनाऊंगा… कभी नहीं।"

फिर वो खामोशी से आसमान की ओर देखता है…

जैसे अपनी तक़दीर को खुली चुनौती दे रहा हो। कि मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हो सकती है।।

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1 साल बाद,

बेंगलुरु रेलवे स्टेशन

सुबह का समय

रेल की सीटी के साथ ही प्लेटफॉर्म पर चहल-पहल बढ़ गई थी।

भीड़ के बीच से दो लड़कियां बाहर निकलीं—

एक के चेहरे पर घबराहट और उम्मीद का मेल था, दूसरी पूरे आत्मविश्वास के साथ इधर-उधर का जायज़ा ले रही थी।

तभी उनमें से एक लड़की जिसका नाम काजल है , वो मुस्कुराते हुए कहती है ,"

"तो मैडम, आ ही गईं आप अपने सपनों की नगरी में?"

इस पर बेला हल्की मुस्कान के साथ कहती है,"

"हां काजल… ये शहर मेरे लिए सिर्फ एक जगह नहीं,

एक मौका है खुद को साबित करने का… और बीते हुए वक्त को पीछे छोड़ देने का।"

बेला के हाथ में एक छोटा सा बैग था, जिसमें उसका ज़्यादातर सामान नहीं, बल्कि कुछ ज़िम्मेदारियां और कुछ अनकहे दर्द भरे थे।

उसकी आंखों में एक सूनापन था, जिसे वो छुपाने की भरपूर कोशिश कर रही थी।

स्टेशन से दोनों लड़कियां एक टैक्सी लेकर अपने मंजिल की तरफ निकल पड़ती है।

बेंगलुरु की सड़कों से गुजरते हुए बेला शहर की चमकती इमारतों को देख रही थी—

लेकिन उसके मन में अब भी गांव के वो मंडप, वो घूंघट से रिवांश को देखना और… रिवांश की बेरुखी गूंज रही थी।

तभी काजल उसके ख्यालों को तोड़ते हुए आगे कहती है,"

"हॉस्टल पहुंचते ही फ्रेश हो जाना। फिर अगले दिन कॉलेज भी जाना है, फॉर्मेलिटीज पूरी करनी हैं।"

और फिर मुस्कराते हुए "और हां, पहला दिन है, तो इम्प्रेशन जमाना बनता है"

ये सुनकर बेला धीमे से खुद से ही कहती है,"

"अब किसी को इंप्रेस नहीं करना… बस खुद को नहीं गिरने देना है।"

थोड़ी ही देर बाद टैक्सी गर्ल्स हॉस्टल सामने गेट पर रुकती है।

बेला और काजल नीचे उतरीं और सामने की ओर देखा,

जहां बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था ,

“IIT – Bengaluru, Women’s Hostel”

वो पल भर को ठिठकी… फिर चुपचाप दोनों हाथ जोड़कर उस बोर्ड को प्रणाम किया।

उसके इस एक्शन को काजल हैरानी से उसे देखती रह गई, लेकिन वो कुछ भी नहीं बोली।

काजल धीमे से कहती है,"

"बेला… तू अब भी उतनी ही अलग है, जितनी पहले थी।"

इस पर बेला मुस्कराकर कहती हैं,"

"ये जगह मेरे लिए मंदिर है, काजल।

यहां से मुझे मेरी नई पहचान मिलेगी…

और शायद, वो हौसला भी… जिससे मैं टूटने के बाद फिर से बन सकूं।"

बेला और काजल अपना सामान लेकर हॉस्टल की ओर बढ़ती हैं।

गेट पर एक बोर्ड टंगा हुआ था_

"Discipline First, Freedom Later –

Warden Meenakshi Singh"

वहीं रूम के अंदर बैठी हुई थी,

वॉर्डन मीनाक्षी सिंह। करीने से बंधा हुआ उनका बाल, कंधे पर दुपट्टा कसकर डाला गया और आंखों में ऐसी पैनी नजरें, जैसे कोई भी बहाना सहन नहीं करेंगी।

तभी वॉर्डन तेज़ आवाज में कहती हैं,"

"नाम?"

उसकी कड़क आवाज को सुनकर काजल सहमी सी आवाज में कहती हैं,"

"काजल शर्मा… सेकंड ईयर। और ये मेरी दोस्त है, बेला रावत। न्यू ऐडमिशन।"

फिर वॉर्डन की नजर सीधी बेला पर जाती है।

सूट-सलवार, एक लंबी सांस लेने चोटी और माथे पर छोटी सी बिंदी—

उसकी सादगी कुछ देर को सबका ध्यान खींच लेती है।

फिर वॉर्डन कड़क लहजे में कहती हैं,"

"यहां कॉलेज है, आश्रम नहीं।

समझ रही हो ना मिस रावत?

हॉस्टल के अपने नियम हैं—रात नौ बजे के बाद कोई बाहर नहीं जाएगा,

मोबाइल यूज़ क्लास के बाद, और लड़कियों के कमरे में कोई बाहरी नहीं!"समझ गई . ...

इस पर बेला विनम्रता से सिर हिलाती है। और फिर कहती हैं,"

"जी मैम, मैं नियमों का पूरा पालन करूंगी।"

फिर वॉर्डन थोड़ा नरम होकर, फिर भी सख्ती से ही कहती हैं,"

"ठीक है। तुम्हारा कमरा 108 – सेकंड फ्लोर।

जल्दी फ्रेश होकर ऑफिस में फॉर्म भर दो।"

काजल बेला को ले जाती है, और धीमे से फुसफुसाती है—

"ये मैडम वॉर्डन कम और हेडमास्टर ज्यादा लगती हैं!"

बेला हंसकर, हल्के से कहती है,"

"कोई बात नहीं… डांट तो घर में भी पड़ती थी।

यहां भी सही—कम से कम कोई तो है जो निगरानी रखेगा।"

यहीं सोचते हुए बेला कमरे की ओर बढ़ती है…

नया शहर, नया कमरा… लेकिन मन में सिर्फ एक फिक्र चल रही है,"

'अब हर दिन एक नई परीक्षा होगी।'

हॉस्टल – रूम नंबर 108

बेला और काजल जैसे ही कमरे के दरवाज़े के पास पहुंचीं, अंदर से तेज़ हंसी और म्यूजिक की आवाज़ आ रही थी।

काजल मुस्कराकर कहती है,"

"तेरी रूममेट्स बहुत ही एनर्जेटिक हैं लगता है…"

इस पर बेला थोड़ा नर्वस महसूस करती है, लेकिन दरवाज़ा खटखटाती है।

अंदर से एक आवाज़ आती है:

"ओह, न्यू एंट्री आ गई क्या? दरवाज़ा खुला है, एंटर आ जाओ मैडम!"

जैसे ही बेला अंदर आती है, सामने तीन लड़कियां नज़र आती हैं

1. श्रुति:

स्टाइलिश, खुले बाल, कान में एयरपॉड्स। दिल्ली की लड़की, फैशन की शौकीन।

"हाय… Shruti Kapoor from Delhi! FYI, मैं नाइट आउल हूं… तो लाइट्स बंद करने की डिमांड मत करना।"

2. दीपाली:

नरम स्वभाव, एक किताब पढ़ती हुई। चश्मा लगाए बैठी थी।

"Hello, I'm Deepali. मैं लखनऊ से हूं… और थोड़ा साइलेंस पसंद है।

आशा है हम अच्छे से मैनेज कर लेंगे।"

3. रेशमा:

खूब बातूनी, हैदराबाद से आई।

"Arey, तुम ही बेला हो ना? बहुत सुना था तुम्हारे बारे में काजल से।

Welcome yaar! Room में आ गई हो तो अब हमारी भी हो!"

सबका इन्ट्रो सुनकर बेला एक फीकी हंसी से मुस्कराती है,

उसके हाथ में अभी भी वही बैग है जिसमें उसके पुराने रिश्तों की परछाई भर हुई थी।

तभी श्रुति चुटकी लेते हुए कहती हैं,"

"वैसे तुम्हारा लुक तो एकदम 'Desi Diva' वाला है।

कहां से हो तुम?"

बेला थोड़ा शर्मीले अंदाज़ में कहती हैं,"

"बिहार से…"

तभी रेशमा कहती है,"क्लियर बात बताओ, बिहारी लड़कियां तो बहुत ही तेज़ होती हैं। अब देखो ना, चार लड़कियों में चारों अलग हैं—but एक ही रूम में रहना है, तो थोड़ी मस्ती ज़रूरी है!"

तभी दीपाली हंसते हुए,"

"पर पढ़ाई भी!"

तभी बेला धीरे से,"

"मैं यहां सिर्फ पढ़ाई करने आई हूं… बस यही मकसद है।"

इस पर श्रुति उसे छेड़ते हुए कहती है,"

"और इधर मकसद हो या मोहब्बत… दोनों से पाला पड़ेगा, बेबी। IIT में सब कुछ मिलता है!"

ये सुनकर सब हंसने लगती हैं। ये सब से बेला थोड़ा occurred हो जाती हैं और जल्दी से दूसरी तरफ चली जाती हैं।।

Plz डियर रीडर्स आप सभी लाईक और कमेंट जरुर करें और फॉलो करना ना भूलें 🙏 🙏

जय भोलेनाथ 🙏 🙏

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